हाथी कान गला है जिस का
अस्तर उधड़ा दामन खिसका
आख़िर तुम क्या दोगे उस का
इतने कम सिलवाई दे दो
पाँच नहीं तो ढाई दे दो
फ़ी सिलवट नौ पाई दे दो
ये लो घुंडी कैसे वाला
आगे पीछे गड़बड़-झाला
जाहिल है ना हिन्दी काला
बुढ्ढा तू क्या सोच रहा है
मोंछों को क्यूँ नोच रहा है
शायद जाड़ा कूच रहा है
आ सर्दी से पिंड कटा ले
कोई ऊनी कोट चुका ले
उस दिन को भगवान उठा ले
जिस दिन ये पहनावा छोड़ूँ
जन्म के साथी से मुँह मोड़ूँ
ना-समझों से क्या सर फोड़ूँ
रस्सी जिस तहज़ीब की ढीली
बोतल हो जिस चाक में गीली
सब जलती है सूखी गीली
ये जिस की भी उतरन होगी
या भंगन या कंचन होगी
बेवा बाँझ गृहस्तन होगी
जर्मन औरत का हर दामन
जब झटका खाए का कुंदन
बिलकेंगे बे-गिनती जीवन
मेरी ये खद्दर की पिंडी
ऊन से ऊँची रूई की मंडी
उन कोटों को काली झंडी
नज़्म
पुराने कोट
शाद आरफ़ी