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ज़मीं बिछाई यहाँ आसमाँ बुलंद किया | शाही शायरी
zamin bichhai yahan aasman buland kiya

ग़ज़ल

ज़मीं बिछाई यहाँ आसमाँ बुलंद किया

इनाम नदीम

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ज़मीं बिछाई यहाँ आसमाँ बुलंद किया
फिर उस ने एक सितारे को अर्जुमंद किया

अजीब रास्ता खुलता चला गया मुझ पर
जब एक रात दर-ए-ख़्वाब मैं ने बंद किया

पुकारते थे मुझे आसमाँ मगर मैं ने
क़याम करने को ये ख़ाक-दाँ पसंद किया

अजीब बात थी अब के मुबारज़त में 'नदीम'
कि मुझ को मेरी हज़ीमत ने फ़तह-मंद किया