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ज़माना याद रक्खेगा तुम्हें ये काम कर जाना | शाही शायरी
zamana yaad rakkhega tumhein ye kaam kar jaana

ग़ज़ल

ज़माना याद रक्खेगा तुम्हें ये काम कर जाना

शायान क़ुरैशी

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ज़माना याद रक्खेगा तुम्हें ये काम कर जाना
किसी अफ़्सुर्दा चेहरे में ख़ुशी के रंग भर जाना

किसी भी हादसे पर उस की आँखें नम नहीं होतीं
इसी हालत को कहते हैं मियाँ एहसास मर जाना

अगर जाना ज़रूरी है तो थोड़ा मुस्कुरा भी दे
मुझे अच्छा नहीं लगता तिरा बा-चश्म-ए-तर जाना

अभी भी वक़्त है बाक़ी तड़प पैदा करो वर्ना
क़यामत की निशानी है दुआओं से असर जाना

शहादत की जबीं पर आज भी रौशन है वो लम्हा
वो साअ'त जिस में था शब्बीर का सज्दे में सर जाना

कई आँखों के दीपक मुंतज़िर हैं दिल की राहों में
मिरी आवारगी लाज़िम है मेरा अब तो घर जाना

अना को बेचना 'शायान' ज़िल्लत की निशानी है
अना को बेचने से तो कहीं बेहतर है मर जाना