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यूँ ज़िंदगी के मा'नी किसी ने बता दिए | शाही शायरी
yun zindagi ke mani kisi ne bata diye

ग़ज़ल

यूँ ज़िंदगी के मा'नी किसी ने बता दिए

फ़ारूक़ रहमान

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यूँ ज़िंदगी के मा'नी किसी ने बता दिए
तुम रेत पे दो हर्फ़ लिखे और मिटा दिए

कैसे कहूँ कि कितना वो खुल कर मिला है आज
शर्म-ओ-हया के सारे परिंदे उड़ा दिए

दुश्मन से हार-जीत का होना था फ़ैसला
तो वापसी के हम ने सफ़ीने जला दिए

तू बख़्श या न बख़्श तुझे इख़्तियार है
गुज़़रेंगे तेरे दर से न हम बिन सदा दिए

'फ़ारूक़' उन से कोई शिकायत नहीं रही
आँखें मिलीं तो धीरे से वो मुस्कुरा दिए