ये शो'ले आज़माना जानते हैं
सो हम दामन बचाना जानते हैं
तअ'ल्लुक़ जो भी रक्खो सोच लेना
कि हम रिश्ता निभाना जानते हैं
खनकती नुक़रई दिलकश हँसी में
हम अपना ग़म छुपाना जानते हैं
बुलाना ही नहीं पड़ता है 'अम्बर'
ये ग़म अपना ठिकाना जानते हैं

ग़ज़ल
ये शो'ले आज़माना जानते हैं
अंबरीन हसीब अंबर