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ये कहना था जो दुनिया कह रही है | शाही शायरी
ye kahna tha jo duniya kah rahi hai

ग़ज़ल

ये कहना था जो दुनिया कह रही है

हुमैरा राहत

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ये कहना था जो दुनिया कह रही है
ये गंगा कब से उल्टी बह रही है

ख़बर है ख़्वाब टूटेगा यक़ीनन
मगर इक फ़ाख़्ता दुख सह रही है

लगी थी उस की बुनियादों में दीमक
सो अब दिल की इमारत ढह रही है

कहीं ये ख़ुश्क हो जाए न साथी
मिरे दिल में जो नदिया बह रही है

सितारा बंद मुट्ठी में मिलेगा
मिरी तक़दीर मुझ से कह रही है

मिरे दिल के अकेले घर में 'राहत'
उदासी जाने कब से रह रही है