ये दिल-कथा है अदाकार तेरे बस में नहीं 
मैं ख़ून थूकता किरदार तेरे बस में नहीं 
मैं मानता हूँ कि तुझ को भुला नहीं सकता 
मुझे भुलाना भी ऐ यार तेरे बस में नहीं 
है रोज़ बारगह-ए-दिल में आग पर मातम 
ये ग़म मनाना अज़ा-दार तेरे बस में नहीं 
मिरे ख़ुदा हो मुझे भी बशारत-ए-बख़्शिश 
नहीं कि मुझ सा गुनाहगार तेरे बस में नहीं 
मिरी नज़र में हैं उस्लूब-ए-नक़्द-ओ-फ़िक्र-ओ-सुख़न 
मिरे वजूद का इंकार तेरे बस में नहीं
        ग़ज़ल
ये दिल-कथा है अदाकार तेरे बस में नहीं
फ़रताश सय्यद

