ये चुपके चुपके न थमने वाली हँसी तो देखो
वो साथ है तो ज़रा हमारी ख़ुशी तो देखो
बहुत हसीं रात है मगर तुम तो सो रहे हो
निकल के कमरे से इक नज़र चाँदनी तो देखो
जगह जगह सील के ये धब्बे ये सर्द बिस्तर
हमारे कमरे से धूप की बे-रुख़ी तो देखो
दमक रहा हूँ अभी तलक उस के ध्यान से मैं
बुझे हुए इक ख़याल की रौशनी तो देखो
ये आख़िरी वक़्त और ये बे-हिसी जहाँ की
अरे मिरा सर्द हाथ छू कर कोई तो देखो
अभी बहुत रंग हैं जो तुम ने नहीं छुए हैं
कभी यहाँ आ के गाँव की ज़िंदगी तो देखो
ग़ज़ल
ये चुपके चुपके न थमने वाली हँसी तो देखो
शारिक़ कैफ़ी