ये आने वाला ज़माना हमें बताएगा
वो घर बनाएगा अपना कि घर बसाएगा
मैं सारे शहर में बदनाम हूँ ख़बर है मुझे
वो मेरे नाम से क्या फ़ाएदा उठाएगा
फिर उस के बा'द उजाले ख़रीदने होंगे
ज़रा सी देर में सूरज तो डूब जाएगा
है सैर-गाह ये कच्ची मुंडेर साँपों की
यहाँ से कैसे कोई रास्ता बनाएगा
सुनाई देती नहीं घर के शोर में दस्तक
मैं जानता हूँ जो आएगा लौट जाएगा
मैं सोच भी नहीं सकता था उन उड़ानों में
वो अपने गाँव की मिट्टी को भूल जाएगा
हज़ारों रोग तो पाले हुए हो तुम 'नज़मी'
बचाने वाला कहाँ तक तुम्हें बचाएगा
ग़ज़ल
ये आने वाला ज़माना हमें बताएगा
अख़्तर नज़्मी