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यार मेरा मियान-ए-गुलशन है | शाही शायरी
yar mera miyan-e-gulshan hai

ग़ज़ल

यार मेरा मियान-ए-गुलशन है

फ़ाएज़ देहलवी

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यार मेरा मियान-ए-गुलशन है
ग़र्क़-ए-ख़ूँ फूल ता-ब-दामन है

दिल लुभाता है सब का वो साजन
दिल-फ़रेबी में उस को क्या फ़न है

तारे जिऊँ दर है जिस के हल्क़ा-ब-गोश
वो बिना गोश सुब्ह-ए-रौशन है

उस नज़ारे से सब शहीद हुए
वो नयन क्या बला-ए-रह-ज़न है

क्या बयाँ कर सकूँ मैं गत उस की
'फ़ाएज़' अत ख़ुश-अदा सिरीजन है