वो सर-ए-शाम गए हिज्र की है रात शुरूअ'
अश्क जारी हैं हुआ मौसम-ए-बरसात शुरूअ'
जज़्बा-ए-दिल ने मिरे कुछ तो करी है तासीर
फिर हुए उन के जो अल्ताफ़-ओ-इनायात शुरूअ'
मुझ को दिखलाओ न तुम रंग-ए-हिना उस को जलाओ
भेजनी जिस ने करी तुम को ये सौग़ात शुरूअ'
कभू वहशत कभू शिद्दत कभू ग़म की कसरत
कि जो पहले थे हुए फिर वो ही हालात शुरूअ'
लोग नज़रों पे चढ़ाते हैं ख़ुदा ख़ैर करे
फिर नए सर से है की उस ने मुलाक़ात शुरूअ'
हिज्र की शब ये क़यामत है कटी ऐ 'तनवीर'
सुब्ह हो जाए करो ऐसी कोई बात शुरूअ'

ग़ज़ल
वो सर-ए-शाम गए हिज्र की है रात शुरूअ'
तनवीर देहलवी