EN اردو
वो रंग-ए-रुख़ वो आतिश-ए-ख़ूँ कौन ले गया | शाही शायरी
wo rang-e-ruKH wo aatish-e-KHun kaun le gaya

ग़ज़ल

वो रंग-ए-रुख़ वो आतिश-ए-ख़ूँ कौन ले गया

ख़लील-उर-रहमान आज़मी

;

वो रंग-ए-रुख़ वो आतिश-ए-ख़ूँ कौन ले गया
ऐ दिल तिरा वो रक़्स-ए-जुनूँ कौन ले गया

ज़ंजीर आँसुओं की कहाँ टूट कर गिरी
वो इंतिहा-ए-ग़म का सुकूँ कौन ले गया

दर्द-ए-निहाँ के छीन लिए किस ने आईने
नोक-ए-मिज़ा से क़तरा-ए-ख़ूँ कौन ले गया

जो मुझ से बोलती थीं वो रातें कहाँ गईं
जो जागता था सोज़-ए-दरूँ कौन ले गया

किस मोड़ पर बिछड़ गए ख़्वाबों के क़ाफ़िले
वो मंज़िल-ए-तरब का फ़ुसूँ कौन ले गया

जो शम्अ इतनी रात जली क्यूँ वो बुझ गई
जो शौक़ हो चला था फ़ुज़ूँ कौन ले गया