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वो बुत बोल उट्ठे किसी बात में | शाही शायरी
wo but bol uTThe kisi baat mein

ग़ज़ल

वो बुत बोल उट्ठे किसी बात में

किशन कुमार वक़ार

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वो बुत बोल उट्ठे किसी बात में
ख़ुदा से ये माँगा मुनाजात में

टपकता बहुत ख़ाना-ए-चश्म है
मकाँ बैठ जाता है बरसात में

चमन में है गुलचीं का खटका लगा
न सय्याद सा हो कहीं घात में

वहाँ वाज़ का शोर मस्जिद में है
यहाँ हा-ओ-हू है ख़राबात में

ये दावत अदावत हुई ऐ 'वक़ार'
कि हो ग़ैर दाख़िल मुदारात में