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वही उन की सतीज़ा-कारी है | शाही शायरी
wahi unki satiza-kari hai

ग़ज़ल

वही उन की सतीज़ा-कारी है

अहमद मुश्ताक़

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वही उन की सतीज़ा-कारी है
वही बेचारगी हमारी है

वही उन का तग़ाफ़ुल पैहम
वही अपनी गिला-गुज़ारी है

वही रुख़्सार ओ चश्म ओ लब उन के
वही बे-चेहरगी हमारी है

हुस्न हो ख़ैर हो सदाक़त हो
सब पे उन की इजारा-दारी है

हाथ उठा तोसन-ए-तख़य्युल से
ये किसी और की सवारी है