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वफ़ा ख़ुलूस मोहब्बत इबादतें उस की | शाही शायरी
wafa KHulus mohabbat ibaadaten uski

ग़ज़ल

वफ़ा ख़ुलूस मोहब्बत इबादतें उस की

सैफ़ी सरौंजी

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वफ़ा ख़ुलूस मोहब्बत इबादतें उस की
भुला न पाऊँगा यारो मोहब्बतें उस की

क़दम क़दम पे मुझे जिस ने हौसला बख़्शा
चराग़-ए-राह बनी हैं नसीहतें उस की

हर एक मोड़ पे उस ने मुझे सँभाला है
मैं ख़ुश-नसीब कि पाएँ रिफाक़तें उस की

है कुछ तो बात यक़ीनन कि लोग कहते हैं
यूँही नहीं हैं ज़माने में शोहरतें उस की