वफ़ा ख़ुलूस मोहब्बत इबादतें उस की
भुला न पाऊँगा यारो मोहब्बतें उस की
क़दम क़दम पे मुझे जिस ने हौसला बख़्शा
चराग़-ए-राह बनी हैं नसीहतें उस की
हर एक मोड़ पे उस ने मुझे सँभाला है
मैं ख़ुश-नसीब कि पाएँ रिफाक़तें उस की
है कुछ तो बात यक़ीनन कि लोग कहते हैं
यूँही नहीं हैं ज़माने में शोहरतें उस की
ग़ज़ल
वफ़ा ख़ुलूस मोहब्बत इबादतें उस की
सैफ़ी सरौंजी