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उन्हें अब कोई आइना दीजिए | शाही शायरी
unhen ab koi aaina dijiye

ग़ज़ल

उन्हें अब कोई आइना दीजिए

सीमा शर्मा सरहद

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उन्हें अब कोई आइना दीजिए
ज़रा असली सूरत दिखा दीजिए

बिठाए हैं पहरे बहुत आप ने
ज़बाँ पे भी ताला लगा दीजिए

विचारों से ही वो तो बीमार हैं
कोई सोच की अब दवा दीजिए

सज़ा ही सही कुछ तो दे जाइए
वफ़ाओं का अब तो सिला दीजिए

जो इंसाँ से इंसाँ को वाक़िफ़ करे
हमें कोई ऐसा ख़ुदा दीजिए

मोहब्बत है ये कब ये बंधन लगी
भले कितनी सरहद बना दीजिए