उदासी का समुंदर देख लेना
मिरी आँखों में आ कर देख लेना
हमारे हिज्र की तम्हीद क्या थी
मिरी यादों का दफ़्तर देख लेना
तसव्वुर के लबों से चूम लूँगा
तिरी यादों के पत्थर देख लेना
नुजूमी ने ये की है पेश-गोई
रुलाएगा मुक़द्दर देख लेना
न रखना वास्ता तुम मुझ से लेकिन
मिरी हिजरत का मंज़र देख लेना
तमन्ना है अगर मिलने की मुझ से
मुझे मेरे ही अंदर देख लेना
मकाँ शीशे का बनवाते हो 'आज़र'
बहुत आएँगे पत्थर देख लेना
ग़ज़ल
उदासी का समुंदर देख लेना
कफ़ील आज़र अमरोहवी