तूफ़ाँ है शैख़ क़हरिया है
जो हर्फ़ है तिस के तहरिया है
दिल क्यूँ न भँवर हो आज मेरा
चीरा तिरे सर पे लहरिया है
तुझ हुस्न के बाग़ में सिरीजन
ख़ुर्शीद गुल-ए-दोपहरिया है
अब दीन हुआ ज़माना-साज़ी
आफ़ाक़ तमाम दहरिया है
ग़ज़ल
तूफ़ाँ है शैख़ क़हरिया है
आबरू शाह मुबारक