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तू मिरी बात के जादू में तो आ ही जाता | शाही शायरी
tu meri baat ke jadu mein to aa hi jata

ग़ज़ल

तू मिरी बात के जादू में तो आ ही जाता

इक़बाल अशहर कुरेशी

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तू मिरी बात के जादू में तो आ ही जाता
चाहता मैं तो तिरे दिल में समा ही जाता

बह गई एक सदा सैल-ए-सदा में वर्ना
मैं तिरे शहर में इक शोर उठा ही जाता

वो अगर देख चुका था कई नीली लाशें
क्या ज़रूरी था कि फिर ज़हर चखा ही जाता

हम तो क्या ख़ुद उसे मा'लूम था अंजाम अपना
देखने के लिए कौन उस की तबाही जाता

ये ज़मीं एक नया रास्ता होती 'अशहर'
हम से पहले जो उधर से कोई राही जाता