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तुम ने पूछा नहीं कभी हम को | शाही शायरी
tumne puchha nahin kabhi hum ko

ग़ज़ल

तुम ने पूछा नहीं कभी हम को

शरफ़ मुजद्दिदी

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तुम ने पूछा नहीं कभी हम को
तुम से उम्मीद ये न थी हम को

रोते देखा मुझे तो फ़रमाया
आ न जाए कहीं हँसी हम को

जिस नज़र से कि चाहते थे हम
तुम ने देखा नहीं कभी हम को

हाए कहना किसी का जाते हुए
कीजिए रुख़्सत हँसी ख़ुशी हम को

ओ जवानों की जान हम से हिजाब
याद है तेरी कम-सिनी हम को

हाए क्या भोले-पन से कहते हैं
घूरती क्यूँ है आरसी हम को

मुद्दतों में हुज़ूर-ए-यार 'शरफ़'
आज लाई है बे-ख़ुदी हम को