तुम ने पूछा नहीं कभी हम को
तुम से उम्मीद ये न थी हम को
रोते देखा मुझे तो फ़रमाया
आ न जाए कहीं हँसी हम को
जिस नज़र से कि चाहते थे हम
तुम ने देखा नहीं कभी हम को
हाए कहना किसी का जाते हुए
कीजिए रुख़्सत हँसी ख़ुशी हम को
ओ जवानों की जान हम से हिजाब
याद है तेरी कम-सिनी हम को
हाए क्या भोले-पन से कहते हैं
घूरती क्यूँ है आरसी हम को
मुद्दतों में हुज़ूर-ए-यार 'शरफ़'
आज लाई है बे-ख़ुदी हम को

ग़ज़ल
तुम ने पूछा नहीं कभी हम को
शरफ़ मुजद्दिदी