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तुम ने कहा था चुप रहना सो चुप ने भी क्या काम किया | शाही शायरी
tumne kaha tha chup rahna so chup ne bhi kya kaam kiya

ग़ज़ल

तुम ने कहा था चुप रहना सो चुप ने भी क्या काम किया

सहबा अख़्तर

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तुम ने कहा था चुप रहना सो चुप ने भी क्या काम किया
चुप रहने की आदत ने कुछ और हमें बदनाम किया

फ़र्ज़ानों की तंग-दिली फ़र्ज़ानों तक महदूद रही
दीवानों ने फ़र्ज़ानों तक रस्म-ए-जुनूँ को आम किया

कुंज-ए-चमन में आस लगाए चुप बैठे हैं जिस दिन से
हम ने सबा के हाथ रवाना उन को इक पैग़ाम किया

हम ने बताओ किस तपते सूरज की धूप से मानी हार
हम ने किस दीवार-ए-चमन के साए में आराम किया

'सहबा' कौन शिकारी थे तुम वहशत-केश ग़ज़ालों के
मतवाली आँखों को तुम ने आख़िर कैसा राम किया