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तिरे ख़याल में दिल आज सोगवार सा है | शाही शायरी
tere KHayal mein dil aaj sogwar sa hai

ग़ज़ल

तिरे ख़याल में दिल आज सोगवार सा है

मसऊद हुसैन ख़ां

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तिरे ख़याल में दिल आज सोगवार सा है
मुझे गुमान है कुछ उस को इंतिज़ार सा है

मैं सादा-दिल था कि दामन पे उन के रो भी दिया
मगर गुलों के दिलों में अभी ग़ुबार सा है

वो मो'तबर तो नहीं है पर इस को क्या कीजे
कि उस के वा'दों पे फिर आज ए'तिबार सा है

मैं तुझ से रम्ज़-ए-मोहब्बत कहूँ तो कैसे कहूँ
मैं बे-क़रार हूँ और तुझ को कुछ क़रार सा है

तुझी पे कुछ नहीं मौक़ूफ़ ऐ दिल-ए-महरूम
जहाँ भी देखिए आलम में इंतिशार सा है

तू होश-मंद कहाँ का था कुछ तो कह 'मसऊद'
ये क्या है आज तुझे दिल ये इख़्तियार सा है