तिरा दिल यार अगर माइल करे है
तो जान अब तुझ को साहिब दिल करे है
तजल्ली को नहीं तकरार हरगिज़
यहाँ तकरार अब जाहिल करे है
रिआयत बूझ तू माशूक़ का जौर
कि तुझ को इश्क़ में कामिल करे है
तू खो मत दीन को दुनिया के पीछे
कोई ये काम भी आक़िल करे है
बड़ी दुश्मन तिरी ग़फ़लत है हर-दम
कि तुझ को मौत से ग़ाफ़िल करे है
कोई दिन को चले और क़ासिद-ए-उम्र
ये रात और दिन में दो मंज़िल करे है
किसी को काम में तेरे नहीं दर्क
अबस 'हातिम' को तू शामिल करे है
ग़ज़ल
तिरा दिल यार अगर माइल करे है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम