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तसव्वुर में सलाम आते रहेंगे | शाही शायरी
tasawwur mein salam aate rahenge

ग़ज़ल

तसव्वुर में सलाम आते रहेंगे

ओम प्रकाश बजाज

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तसव्वुर में सलाम आते रहेंगे
मोहब्बत के पयाम आते रहेंगे

कमी मुमकिन नहीं है बाम-ओ-दर की
नज़र माह-ए-तमाम आते रहेंगे

निगाहों से मिलेंगी जब निगाहें
तो ख़ुद गर्दिश में जाम आते रहेंगे

कशिश उन में अगर होगी ज़रा सी
परिंदे ज़ेर-ए-दाम आते रहेंगे

शब-ए-फ़ुर्क़त शब-ए-फ़ुर्क़त न होगी
तसव्वुर कुछ तो काम आते रहेंगे

वक़ार-ए-शेर-ओ-फ़न बढ़ता रहेगा
अगर कुछ ख़ुश-कलाम आते रहेंगे

'बजाज' उन को जो रोकेगा ज़माना
वो ख़्वाबों में मुदाम आते रहेंगे