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तर्क-ए-मोहब्बत पर भी होगी उन को नदामत हम से ज़ियादा | शाही शायरी
tark-e-mohabbat par bhi hogi un ko nadamat humse ziyaada

ग़ज़ल

तर्क-ए-मोहब्बत पर भी होगी उन को नदामत हम से ज़ियादा

शमीम जयपुरी

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तर्क-ए-मोहब्बत पर भी होगी उन को नदामत हम से ज़ियादा
किस ने की है कौन करेगा उन से मोहब्बत हम से ज़ियादा

हम ने माना आप में होगी सब्र की ताक़त हम से ज़ियादा
देखिए लेकिन उतरी हुई है आप की सूरत हम से ज़ियादा

उफ़ वो तबस्सुम हल्का हल्का हाए वो भीगी भीगी पलकें
वक़्त-ए-रुख़्सत उन पे गराँ था लम्हा-ए-रुख़्सत हम से ज़ियादा

कोई तमन्ना कोई मसर्रत दिल के क़रीब आने ही न दी
किस ने की है इश्क़ में यारो ग़म से मोहब्बत हम से ज़ियादा