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तलाश जिन की है वो दिन ज़रूर आएँगे | शाही शायरी
talash jin ki hai wo din zarur aaenge

ग़ज़ल

तलाश जिन की है वो दिन ज़रूर आएँगे

शरीफ़ कुंजाही

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तलाश जिन की है वो दिन ज़रूर आएँगे
ये और बात सही हम न देख पाएँगे

यक़ीं तो है कि खुलेगा न खुल सका भी अगर
दर-ए-बहार पे दस्तक दिए ही जाएँगे

ग़ुनूदा राहों को तक तक के सोगवार न हो
तिरे क़दम ही मुसाफ़िर इन्हें जगाएँगे

लबों की मौत से बद-तर है फ़िक्र-ओ-जज़्ब की मौत
किधर हैं वो जो उन्हें मौत से बचाएँगे

तवील रात भी आख़िर को ख़त्म होती है
'शरीफ़' हम न अँधेरों से मात खाएँगे