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सुब्ह की आज जो रंगत है वो पहले तो न थी | शाही शायरी
subh ki aaj jo rangat hai wo pahle to na thi

ग़ज़ल

सुब्ह की आज जो रंगत है वो पहले तो न थी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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सुब्ह की आज जो रंगत है वो पहले तो न थी
क्या ख़बर आज ख़िरामाँ सर-ए-गुलज़ार है कौन

शाम गुलनार हुई जाती है देखो तो सही
ये जो निकला है लिए मिशअल-ए-रुख़्सार है कौन

रात महकी हुई आई है कहीं से पूछो
आज बिखराए हुए ज़ुल्फ़-ए-तरह-दार है कौन

फिर दर-ए-दिल पे कोई देने लगा है दस्तक
जानिए फिर दिल-ए-वहशी का तलबगार है कौन