सोच की लहरों का मजमा' ठीक है
ज़िंदगी का मसअला बारीक है
अश्क-रेज़ी की मुझे आदत नहीं
ग़म बराए ग़म मिरी तज़हीक है
हम को फूलों की सनद मिल जाएगी
ख़ुशबुओं का मदरसा नज़दीक है
मेरे ज़ख़्मों की अना है मुख़्तलिफ़
तेरी हमदर्दी का मरहम भीक है
अपनी कोशिश तो चमकती है मगर
कामयाबी की गली तारीक है
मुस्कुराहट के तआ'क़ुब में 'असर'
आँसुओं की दिल-शिकन तहरीक है

ग़ज़ल
सोच की लहरों का मजमा' ठीक है
साजिद असर