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सिर्फ़ बच्चे ही नहीं शोर मचाने आते | शाही शायरी
sirf bachche hi nahin shor machane aate

ग़ज़ल

सिर्फ़ बच्चे ही नहीं शोर मचाने आते

रम्ज़ी असीम

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सिर्फ़ बच्चे ही नहीं शोर मचाने आते
सैर करने यहाँ बीमार भी आ जाते हैं

दिल भी हो जाता है ख़ुश अपना तमाशा कर के
और निभाने हमें किरदार भी आ जाते हैं

किस क़दर दुख है तुम्हें दिल के उजड़ जाने का
इश्क़ में काम तो घर-बार भी आ जाते हैं

हम भी आ जाते हैं बाज़ार में आँखें ले कर
शाम होते ही ख़रीदार भी आ जाते हैं