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शुक्र उस ने किया लब पे मगर नाम न आया | शाही शायरी
shukr usne kiya lab pe magar nam na aaya

ग़ज़ल

शुक्र उस ने किया लब पे मगर नाम न आया

मिर्ज़ा मायल देहलवी

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शुक्र उस ने किया लब पे मगर नाम न आया
मरना भी मिरा हाए मिरे काम न आया

अल्लाह शब-ए-हिज्र फिर ऐसी न दिखाए
घड़ियों तो मुझे याद तिरा नाम न आया

ये तर्ज़-ए-जफ़ा किस सिखाई थी सितम-गर
सौ ज़ुल्म हुए एक भी इल्ज़ाम न आया

बुत-ख़ाना तो बुत-ख़ाना है अल्लाह-री क़िस्मत
काबा से भी 'माइल' कभी नाकाम न आया