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सौदा-ए-इश्क़ के तो ख़ता-वार हम नहीं | शाही शायरी
sauda-e-ishq ke to KHata-war hum nahin

ग़ज़ल

सौदा-ए-इश्क़ के तो ख़ता-वार हम नहीं

सीमा गुप्ता

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सौदा-ए-इश्क़ के तो ख़ता-वार हम नहीं
हैं इश्क़ के मरीज़ गुनहगार हम नहीं

हम जो खटक रहे थे तुम्हारी निगाह में
लो अब तुम्हारी राह में दीवार हम नहीं

उस की ख़ुशी के वास्ते ख़ुद को फ़ना किया
फिर भी वो कह रहा है वफ़ादार हम नहीं

दिल में हमारे एक तलातुम सा है बपा
ख़ामोश हैं कि ज़ीनत-ए-अख़बार हम नहीं

तन्हाइयों की हम ने ही दुनिया बसाई है
गोशे में ख़ुद के हैं सर-ए-बाज़ार हम नहीं

सहरा के गर्द-ओ-गर्म ही अब रास आ गए
'सीमा' किसी चमन के रवादार हम नहीं