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समझते थे ,वो समझाया गया है | शाही शायरी
samajhte the wo, samjhaya gaya hai

ग़ज़ल

समझते थे ,वो समझाया गया है

सोनरूपा विशाल

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समझते थे ,वो समझाया गया है
हमें हम से ही मिलवाया गया है

हमारे नाम का बे-नाम हिस्सा
किसी के नाम लिखवाया गया है

कभी एहसान कोई कर गया था
बराबर याद दिलवाया गया है

ये आँखें नींद में भी जागती हैं
ये किस का ज़िक्र दोहराया गया है

हम अपनी गुफ़्तुगू भी तौलते हैं
हमें व्यापार सिखलाया गया है