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सहमे नहीफ़ दरिया के धारे की बात कर | शाही शायरी
sahme nahif dariya ke dhaare ki baat kar

ग़ज़ल

सहमे नहीफ़ दरिया के धारे की बात कर

सलीम फ़िगार

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सहमे नहीफ़ दरिया के धारे की बात कर
अब दश्त-ए-बे-कराँ के किनारे की बात कर

दुनिया के मसअलों में मुझे भी शरीक रख
मेरे दरीदा दिल के भी चारे की बात कर

रहने दे ज़िक्र-ए-सूद किसी और वक़्त पर
राह-ए-वफ़ा में मेरे ख़सारे की बात कर

मेआ'र के न मुझ को कम-ओ-बेश में परख
तुझ को अगर क़ुबूल हूँ सारे की बात कर

हम बोरिया-नशीन तिरे शाह भी तो हैं
या लौट जा या साथ गुज़ारे की बात कर

अब आसमान सारा मिरी दस्तरस में है
उँगली उठा किसी भी सितारे की बात कर