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सफ़र में रस्ता बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है | शाही शायरी
safar mein rasta badalne ke fan se waqif hai

ग़ज़ल

सफ़र में रस्ता बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है

रेहाना रूही

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सफ़र में रस्ता बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है
वो शख़्स चेहरा बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है

हुई है चश्म-ए-शनासा भी अजनबी तो खुला
कि आँख रिश्ता बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है

है आधे शहर में बारिश तो आधे शहर में धूप
हवा इलाक़ा बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है

सुनी-सुनाई पे इक-दम यक़ीन मत करना
ये ख़ल्क़ क़िस्सा बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है

उसी के पास हुकूमत है अब क़बीले की
कि जो क़बीला बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है

किसी को पिंजरा बदलने का शौक़ है 'रूही'
कोई परिंदा बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है