सबब उस की परेशानी का मैं हूँ
नमक की फ़स्ल वो पानी का मैं हूँ
ये जंगल मुझ को रास आना नहीं है
परिंदा दश्त-ए-इम्कानी का मैं हूँ
मिरी मुश्किल मिरी मुश्किल नहीं है
वसीला तेरी आसानी का मैं हूँ
मुझे दुनिया लुटा देगी कोई दिन
असासा आलम-ए-फ़ानी का मैं हूँ
अभी साहिल मिरा रस्ता न देखे
अभी दरिया की तुग़्यानी का मैं हूँ
वहीं मुझ को सुपुर्द-ए-ख़ाक करना
कि जिस ख़ाक-बयानी का मैं हूँ
मिरे होने का कुछ मतलब तो होगा
तो क्या बेकार बे-मअ'नी का मैं हूँ
फ़क़ीराना तबीअत का हूँ वर्ना
''तलब'' हक़दार सुल्तानी का मैं हूँ
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ग़ज़ल
सबब उस की परेशानी का मैं हूँ
ख़ुर्शीद तलब