EN اردو
रंजिश तिरी हर दम की गवारा न करेंगे | शाही शायरी
ranjish teri har dam ki gawara na karenge

ग़ज़ल

रंजिश तिरी हर दम की गवारा न करेंगे

शैख़ अली बख़्श बीमार

;

रंजिश तिरी हर दम की गवारा न करेंगे
अब और ही माशूक़ से याराना करेंगे

बाँधेंगे किसी और ही जोड़े का तसव्वुर
सर ध्यान में उस ज़ुल्फ़ के मारा न करेंगे

इम्कान से ख़ारिज है कि हूँ तुझ से मुख़ातिब
हमनाम को भी तेरे पुकारा न करेंगे

यक बार कभी भूले से आ जाएँ तो आ जाएँ
लेकिन गुज़र इस घर में दोबारा न करेंगे

क्या ख़ूब कहा तू ने जो खोलूँ अभी आग़ोश
मिलने से मिरे आप किनारा न करेंगे

गो ख़ाक में मिल जाएँ हम और वज़्अ बदल जाएँ
पर तुझ से मुलाक़ात ख़ुद-आरा न करेंगे

उस नर्गिस-ए-'बीमार' से रखते हैं शबाहत
हरगिज़ सू-ए-अबहर भी इशारा न करेंगे