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रास्ता भूल गया एक सितारा अपना | शाही शायरी
rasta bhul gaya ek sitara apna

ग़ज़ल

रास्ता भूल गया एक सितारा अपना

इक़बाल अशहर

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रास्ता भूल गया एक सितारा अपना
चाँद ने बंद किया जब से दरीचा अपना

रोज़ आईना दिखाती है ज़माने भर को
ज़िंदगी देख ले तू भी कभी चेहरा अपना

अक्स तेरा कभी ओझल हो अगर मंज़र से
आईना ढूँढता रह जाए उजाला अपना

सोचता हूँ तिरी तस्वीर दिखा दूँ उस को
रौशनी ने कभी साया नहीं देखा अपना

ये सुलगता हुआ सहरा है निशानी उस की
रास्ता भूल गया था कोई दरिया अपना