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क़ासिद नई अदा से अदा-ए-पयाम हो | शाही शायरी
qasid nai ada se ada-e-payam ho

ग़ज़ल

क़ासिद नई अदा से अदा-ए-पयाम हो

अहसन मारहरवी

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क़ासिद नई अदा से अदा-ए-पयाम हो
मतलब ये है कि बात न हो और कलाम हो

बाक़ी है शौक़ राह में क्यूँकर क़याम हो
हाथ आएँ उन के पाँव तो मंज़िल तमाम हो

क्या ख़ुश हो दिल कि है वो जफ़ा-जू ज़मीं से दूर
तुम कैसे आसमान के क़ाएम-मक़ाम हो

फ़रमाँ-रवा-ए-हुस्न को होता नहीं फ़रोग़
जब तक न इश्क़ उस का मुदारुलमहाम हो

'अहसन' वो सुन के शिकवा-ए-तशहीर कह गए
हम जानते हैं तुम को बड़े नेक-नाम हो