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प्यार के आग़ोश में हम को ठहरना ही नहीं | शाही शायरी
pyar ke aaghosh mein hum ko Thaharna hi nahin

ग़ज़ल

प्यार के आग़ोश में हम को ठहरना ही नहीं

मोनिका शर्मा सारथी

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प्यार के आग़ोश में हम को ठहरना ही नहीं
आरज़ू की उस गली से अब गुज़रना ही नहीं

चीख़ें मेरी सुन के भी जब शब ने नज़रें फेर लीं
ख़ौफ़ कम उस तीरगी का अब तो करना ही नहीं

ये सफ़र मुश्किल सही पर हम तो चलते जाएँगे
दे कोई आवाज़ लेकिन अब ठहरना ही नहीं

ये ग़ज़ब की रौनक़ें किस काम की अपने लिए
सुल्ह अब ख़ुशियों से हरगिज़ हम को करना ही नहीं

आब जब इस ज़िंदगी का हो गया बे-कार तो
डूब कर दोबारा इस में अब निखरना ही नहीं

तुम थे शामिल थी उदासी भी जनाज़े पर मिरे
हो चुके रुख़्सत हमें अब तुम पे मरना ही नहीं