फिर वही शब वही सितारा है
फिर वही आसमाँ हमारा है
वो जो ता'मीर थी तुम्हारी थी
ये जो मलबा है सब हमारा है
वो जज़ीरा ही कुछ कुशादा था
हम ने समझा यही किनारा है
चाहता है कि कहकशाँ में रहे
मेरे अंदर जो इक सितारा है

ग़ज़ल
फिर वही शब वही सितारा है
विकास शर्मा राज़