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पहुँच गए तो करेंगे इधर-उधर की तलाश | शाही शायरी
pahunch gae to karenge idhar-udhar ki talash

ग़ज़ल

पहुँच गए तो करेंगे इधर-उधर की तलाश

नातिक़ गुलावठी

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पहुँच गए तो करेंगे इधर-उधर की तलाश
अभी तो है हमें उन की गली में घर की तलाश

हमारे ऐब में जिस से मदद मिले हम को
हमें है आज-कल ऐसे किसी हुनर की तलाश

चराग़ ले के फिरा ढूँढता हुआ घर घर
शब-ए-फ़िराक़ जो मुझ को रही सहर की तलाश

तलाश-ए-यार में काम आ गए हमी आख़िर
हमारे काम नहीं आई उम्र भर की तलाश

यूँही कभी दुर-ए-मज़मूँ मिला नहीं 'नातिक़'
बहुत से ग़ोते खिलाती है इक गुहर की तलाश