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पहला पत्थर याद हमेशा रहता है | शाही शायरी
pahla patthar yaad hamesha rahta hai

ग़ज़ल

पहला पत्थर याद हमेशा रहता है

साबिर वसीम

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पहला पत्थर याद हमेशा रहता है
दुख से दिल आबाद हमेशा रहता है

पास रहें या दूर मगर उन आँखों में
मौसम-ए-अब्र-ओ-बाद हमेशा रहता है

क़ैद की ख़्वाहिश उस का दुख बन जाती है
जो पंछी आज़ाद हमेशा रहता है

एक गुल-ए-बे-मेहर खिलाने की ख़ातिर
क़र्या-ए-दिल बर्बाद हमेशा रहता है

इस के लिए मैं क्या क्या स्वाँग रचाता हूँ
वो फिर भी नाशाद हमेशा रहता है

पाँव थमें तो कैसे 'साबिर' अपने साथ
एक सफ़र ईजाद हमेशा रहता है