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पानियों से रेत पर जो आ गया मेरी तरह | शाही शायरी
paniyon se ret par jo aa gaya meri tarah

ग़ज़ल

पानियों से रेत पर जो आ गया मेरी तरह

शफ़ीउल्लाह राज़

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पानियों से रेत पर जो आ गया मेरी तरह
ज़िंदगी की धूप में जलता रहा मेरी तरह

उस के होंटों से भी अमृत की महक आने लगी
ग़ालिबन ज़हर-ए-हलाहल पी लिया मेरी तरह

आप को वो अपनी रहमत से नवाज़ेगा ज़रूर
सिद्क़-ए-दिल से माँगिये भी तो दुआ मेरी तरह

कोई पर्दे से निकल कर सामने आ जाएगा
शर्त लेकिन ये है तुम भी देखना मेरी तरह

साहिलों की क़ैद से आज़ाद हो सकता है तू
अपने दरिया में कोई तूफ़ाँ उठा मेरी तरह

कुफ़्र-ओ-बातिल की सफ़ों को चीर कर बाहर निकल
नाम अपना हक़ परस्तों में लिखा मेरी तरह

अंजुमन-दर-अंजुमन तफ़रीक़-ए-ख़ास-ओ-आम है
है कोई जो राज़ कह दे बरमला मेरी तरह