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पानी आँख में भर कर लाया जा सकता है | शाही शायरी
pani aankh mein bhar kar laya ja sakta hai

ग़ज़ल

पानी आँख में भर कर लाया जा सकता है

अब्बास ताबिश

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पानी आँख में भर कर लाया जा सकता है
अब भी जलता शहर बचाया जा सकता है

एक मोहब्बत और वो भी नाकाम मोहब्बत
लेकिन इस से काम चलाया जा सकता है

दिल पर पानी पीने आती हैं उम्मीदें
इस चश्मे में ज़हर मिलाया जा सकता है

मुझ गुमनाम से पूछते हैं फ़रहाद ओ मजनूँ
इश्क़ में कितना नाम कमाया जा सकता है

ये महताब ये रात की पेशानी का घाव
ऐसा ज़ख़्म तो दिल पर खाया जा सकता है

फटा-पुराना ख़्वाब है मेरा फिर भी 'ताबिश'
इस में अपना-आप छुपाया जा सकता है