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नया पैमान रौशन कर गया है | शाही शायरी
naya paiman raushan kar gaya hai

ग़ज़ल

नया पैमान रौशन कर गया है

ख़ावर एजाज़

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नया पैमान रौशन कर गया है
वो आतिश-दान रौशन कर गया है

कोई ताक़-ए-नज़र में शम्अ रख कर
दिल-ए-वीरान रौशन कर गया है

उफ़ुक़ पर डूबने वाला सितारा
कई इम्कान रौशन कर गया है

मिरे कमरे का इक तारीक गोशा
कोई मेहमान रौशन कर गया है

मिरे दुश्मन का है एहसान मुझ पर
मिरी पहचान रौशन कर गया है

बहुत मद्धम सी थी आफ़ाक़ की लौ
मगर इंसान रौशन कर गया है