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नवेद-ए-वस्ल-ए-यार आए न आए | शाही शायरी
nawed-e-wasl-e-yar aae na aae

ग़ज़ल

नवेद-ए-वस्ल-ए-यार आए न आए

असर लखनवी

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नवेद-ए-वस्ल-ए-यार आए न आए
बराबर है बहार आए न आए

तुझे करना है जो कुछ आज कर ले
कि फिर ये रोज़गार आए न आए

किए जा दर्द-ए-दिल ऐ ना-मुरादी
किसी को ए'तिबार आए न आए

कोई पुरसाँ न हो जब हाल-ए-बद का
तमन्ना सोगवार आए न आए

जो वो बिल-फ़र्ज़ हो पुर्सिश प माइल
दिल-ए-बिस्मिल क़रार आए न आए

सितम से जब तलाफ़ी हो सितम की
तुम्हीं कह दो कि प्यार आए न आए

'असर' है और लज़्ज़त बे-ख़ुदी की
वो जान-ए-इंतिज़ार आए न आए