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नाले दम लेते नहीं या-रब फ़ुग़ाँ रुकती नहीं | शाही शायरी
nale dam lete nahin ya-rab fughan rukti nahin

ग़ज़ल

नाले दम लेते नहीं या-रब फ़ुग़ाँ रुकती नहीं

अज़ीज़ हैदराबादी

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नाले दम लेते नहीं या-रब फ़ुग़ाँ रुकती नहीं
गो क़फ़स में बंद हूँ लेकिन ज़बाँ रुकती नहीं

डर रहा हूँ टूट जाएँगी क़फ़स की तीलियाँ
क्या मुसीबत है हवा-ए-बोस्ताँ रुकती नहीं

दीदनी हैं मुल्ज़िम-ए-हस्ती की तूफ़ाँ-ख़ेजियाँ
डूबने से कश्ती-ए-उम्र-ए-रवाँ रुकती नहीं

उड़ के हम पहुँचेंगे मंज़िल पर हवा-ए-शौक़ में
कारवाँ रुक जाए गर्द-ए-कारवाँ रुकती नहीं

दिक़्क़तें'' हाएल हैं फ़न्न-ए-शेर में लेकिन 'अज़ीज़'
एक आँधी है मिरी तब्-ए-रवाँ रुकती नहीं