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न हुई गर मिरे मरने से तसल्ली न सही | शाही शायरी
na hui gar mere marne se tasalli na sahi

ग़ज़ल

न हुई गर मिरे मरने से तसल्ली न सही

मिर्ज़ा ग़ालिब

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न हुई गर मिरे मरने से तसल्ली न सही
इम्तिहाँ और भी बाक़ी हो तो ये भी न सही

my dying didn't render relief, it does not matter much
if further trials now remain, then let them be as such

ख़ार ख़ार-ए-अलम-ए-हसरत-ए-दीदार तो है
शौक़ गुल-चीन-ए-गुलिस्तान-ए-तसल्ली न सही

no matter ardor could not reap, the rose of its delight
the thorns of sorrow still remain from thirsting for your sight

मय-परस्ताँ ख़ुम-ए-मय मुँह से लगाए ही बने
एक दिन गर न हुआ बज़्म में साक़ी न सही

wine worshippers tis surely meet, drink from the jar today
If saaqi's missing for a day, no cause is for dismay

नफ़स-ए-क़ैस कि है चश्म-ओ-चराग़-ए-सहरा
गर नहीं शम-ए-सियह-ख़ाना-ए-लैली न सही

As Majnuu.n's breath was reason for the desert's light and sheen
Lantern of Lailaa's darkened tent, let it not have been

एक हंगामे पे मौक़ूफ़ है घर की रौनक़
नौहा-ए-ग़म ही सही नग़्मा-ए-शादी न सही

if just on clamor now depends, the home's hullabaloo
if be not songs of joy, no loss, with sorrow's cries make do

न सताइश की तमन्ना न सिले की पर्वा
गर नहीं हैं मिरे अशआ'र में मा'नी न सही

I do not harbor hope for praise nor care I for compense
thus if my lines are meaningless, with them, you may dispense

इशरत-ए-सोहबत-ए-ख़ूबाँ ही ग़नीमत समझो
न हुई 'ग़ालिब' अगर उम्र-ए-तबीई न सही

be thankful for the ecstacy of beauties' company
e'en if you died before your time, at least was joyfully