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मुज़्तरिब दिल की कहानी और है | शाही शायरी
muztarib dil ki kahani aur hai

ग़ज़ल

मुज़्तरिब दिल की कहानी और है

फ़सीह अकमल

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मुज़्तरिब दिल की कहानी और है
कोई लेकिन उस का सानी और है

उस की आँखें देख कर हम पर खुला
ये शुऊर-ए-हुकमरानी और है

ये जो क़ातिल हैं उन्हें कुछ मत कहो
इस सितम का कोई बानी और है

उम्र भर तुम शाइरी करते रहो
ज़ख़्म-ए-दिल की तर्जुमानी और है

हौसला टूटे न राह-ए-शौक़ में
ग़म की ऐसी मेज़बानी और है

मुद्दआ इज़हार से खुलता नहीं है
ये ज़बान-ए-बे-ज़बानी और है

आईने के सामने बैठा है कौन
आज मंज़र पर जवानी और है