मुझे तो जो भी मिला है अज़ाब की सूरत
मिरी हयात है इक तिश्ना ख़्वाब की सूरत
हवाओ दिल की तरफ़ एहतियात से जाना
वजूद अम्न का है क़ाएम हुबाब की सूरत
मलामतें ग़म-ओ-आलाम फ़िक्र मायूसी
ये ज़िंदगी है शिकस्ता किताब की सूरत
ख़ुद अपनी कर्गसी फ़ितरत से हो गए रुस्वा
वगर्ना तुम भी उठे थे उक़ाब की सूरत
कभी फ़लक तो समुंदर कभी उठा लाया
पसंद दोनों को है आफ़्ताब की सूरत
शगुफ़्तगी की जगह झुर्रियों ने ले ली है
हमारा चेहरा था 'आजिज़' गुलाब की सूरत

ग़ज़ल
मुझे तो जो भी मिला है अज़ाब की सूरत
लईक़ आजिज़